11th class physics chapter 2 मापन और मात्रक (PDF)
इकाइयाँ और मापन कक्षा 11 नोट्स भौतिकी अध्याय 2
इकाइयाँ और मापन कक्षा 11 नोट्स भौतिकी अध्याय 2
*मापन:-
:- मापन की प्रक्रिया मूलतः एक तुलना प्रक्रिया है। किसी भौतिक मात्रा को मापने के लिए हमें यह पता लगाना होता है कि मापी जा रही मात्रा में उस भौतिक मात्रा की मानक मात्रा कितनी बार मौजूद है। इस प्रकार प्राप्त संख्या को परिमाण कहा जाता है और चुने गए मानक को भौतिक मात्रा की इकाई कहा जाता है।
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* इकाई:-
:- किसी भौतिक मात्रा की इकाई एक मनमाने ढंग से चुना गया मानक है जिसे समाज द्वारा व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है और जिसके संदर्भ में समान प्रकृति की अन्य मात्राएँ मापी जा सकती हैं।
*मानक:-
:- किसी भौतिक मात्रा की इकाई का वास्तविक भौतिक अवतार उस भौतिक मात्रा के मानक के रूप में जाना जाता है।
• किसी भी माप को व्यक्त करने के लिए हमें संख्यात्मक मान (n) और इकाई (μ) की आवश्यकता होती है। भौतिक मात्रा का माप = संख्यात्मक मान x इकाई
उदाहरण के लिए: एक छड़ की लंबाई = 8 मीटर
जहां 8 संख्यात्मक मान है और मीटर (मीटर) लंबाई की इकाई है।
*मौलिक भौतिक मात्रा/इकाइयाँ:-
यह एक प्रारंभिक भौतिक मात्रा है, जिसे व्यक्त करने के लिए किसी अन्य भौतिक मात्रा की आवश्यकता नहीं होती है। इसका मतलब है कि इसे किसी अन्य भौतिक मात्रा के संदर्भ में आगे हल नहीं किया जा सकता है। इसे मूल भौतिक मात्रा के रूप में भी जाना जाता है।
मूलभूत भौतिक राशियों की इकाइयों को मौलिक इकाइयाँ कहा जाता है।
उदाहरण के लिए, एमकेएस प्रणाली में, द्रव्यमान, लंबाई और समय क्रमशः किलोग्राम, मीटर और सेकंड में व्यक्त मौलिक इकाइयाँ हैं।
*व्युत्पन्न भौतिक मात्राएँ/इकाइयाँ:-
वे सभी भौतिक राशियाँ, जो दो या दो से अधिक मौलिक मात्राओं के संयोजन से प्राप्त की जा सकती हैं या बुनियादी भौतिक मात्राओं के रूप में व्यक्त की जा सकती हैं, व्युत्पन्न भौतिक मात्राएँ कहलाती हैं।
अन्य सभी भौतिक राशियों के मात्रक, कौन सी कार. मौलिक इकाइयों से प्राप्त किया जा सकता है, व्युत्पन्न इकाइयाँ कहलाती हैं। उदाहरण के लिए, वेग, घनत्व और बल की इकाइयाँ क्रमशः m/s, kg/m3, kg m/s2 हैं और ये व्युत्पन्न इकाइयों के उदाहरण हैं।
*इकाइयों की प्रणालियाँ:-
:- पहले विभिन्न देशों में तीन अलग-अलग इकाइयों की प्रणालियों का उपयोग किया जाता था। ये सीजीएस, एफपीएस और एमकेएस सिस्टम थे। आजकल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इकाइयों की एसआई प्रणाली का पालन किया जाता है। एसआई इकाई प्रणाली में, सात मात्राओं को आधार मात्रा के रूप में लिया जाता है।
(i) सीजीएस प्रणाली:-
लंबाई, द्रव्यमान और समय को व्यक्त करने के लिए क्रमशः सेंटीमीटर, ग्राम और सेकंड का उपयोग किया जाता है।
(ii) एफपीएस सिस्टम:-
लंबाई, द्रव्यमान और समय को व्यक्त करने के लिए क्रमशः फुट, पाउंड और सेकंड का उपयोग किया जाता है।
(iii) एमकेएस प्रणाली:-
लंबाई को मीटर में, द्रव्यमान को किलोग्राम में और समय को सेकंड में व्यक्त किया जाता है। मीटर, किलोग्राम और सेकंड का उपयोग क्रमशः लंबाई, द्रव्यमान और समय को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।
(iv) एसआई इकाइयाँ:-
लंबाई, द्रव्यमान, समय, विद्युत धारा, थर्मोडायनामिक तापमान, पदार्थ की मात्रा और चमकदार तीव्रता क्रमशः मीटर, किलोग्राम, सेकंड, एम्पीयर, केल्विन, मोल और कैंडेला में व्यक्त की जाती है।
#मात्रक दो प्रकार के होते हैं-
मूल मात्रक:-
ऐसे मात्रक जिनका उपयोग मूल राशियों के मापन के लिए किया जाता है, मूल मात्रक कहलाते हैं। मूल मात्रक पूर्ण रूप से स्वतंत्र होते हैं तथा इन्हे किसी अन्य मात्रक से व्युत्पन्न नहीं किया जा सकता।
मूल मात्रक के उदाहरण: मीटर, किलोग्राम, सेकंड आदि ।
व्युत्पन्न मात्रक:-
वे मात्रक जिन्हें मूल मात्रकों का उपयोग करके व्युत्पन्न किया जा सके, व्युत्पन्न मात्रक कहलाते हैं। जैसे – मीटर प्रति सेकंड, न्यूटन, जूल आदि ।
मात्रकों की प्रणाली (या पद्धति):-
मूल-मात्रकों और व्युत्पन्न मात्रकों के सम्पूर्ण समुच्चय को मात्रकों की प्रणाली कहलाता है।
प्रमुखता से प्रयोग की जाने वाली मात्रकों की प्रणालियाँ:
FPS प्रणाली –
यह ब्रिटिश प्रणाली है जिसमें लंबाई, द्रव्यमान एवं समय के मूल मात्रक क्रमश: फुट, पाउंड एवं सेकंड हैं।
CGS प्रणाली-
यह गासीय (Gaussian) प्रणाली है जिसमें लंबाई, द्रव्यमान एवं समय के मूल मात्रक क्रमश: सेंटीमीटर, ग्राम एवं सेकंड हैं।
MKS प्रणाली -
जिसमें लंबाई, द्रव्यमान एवं समय के मूल मात्रक क्रमश: मेटर, किलोग्राम एवं सेकंड हैं।
*SI प्रणाली:-
यह एक मात्रकों की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली है। इस प्रणाली में सात मूल मात्रक, दो पूरक मात्रक और बहुत सारे व्युत्पन्न मात्रकों पर आधारित है।
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SI के मूल तथा पूरक मात्रकों की परिभाषाएँ :
1 मीटर : -
प्रकाश द्वारा निर्वात मे एक सेकंड के 299,792,458 वे समय अंतराल में तय किए गए पथ की लंबाई एक मीटर है।
1 किलोग्राम:-
फ्रांस में पेरिस के पास सेवरीस में स्थित अंतर्राष्ट्रीय माप-तोल ब्यूरो में रखे किलोग्राम के अंतर्राष्ट्रीय आदि प्रारूप (प्लेटिनम-इरीडियम मिश्रधातु से बने सिलिन्डर) का द्रव्यमान एक किलोग्राम के बराबर है।
1 सेकेंड :-
एक सेकंड वह अंतराल है जिसमें सीज़ियम-133 परमाणु, परमाणु घड़ी में 9,192,631,770 बार कंपन्न करता है।
1 एंपियर :-
1 एंपियर वह नियत विद्युत धारा है जो कि निर्वात में 1 मीटर की दूरी पर स्थित दो सीधे अनंत लंबाई वाले समांतर एवं नगण्य वृत्तीय अनुप्रस्थ काट के चालकों में प्रवाहित होने पर, इन चालकों के बीच प्रति मीटर लंबाई पर 2×10-7 न्यूटन का बल उत्पन्न करती है।
एक केल्विन:-
जल के त्रिक बिंदु के उष्मागतिक ताप के 1/273.16 वे भाग को एक केल्विन कहते हैं.
एक कैंडेला:-
एक कैंडेला कृष्णिका के तल के लंबवत दिशा में उसके 1/60000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल की प्रदीपन तीव्रता है जबकि कृष्णिका का दाब101,325 N/ m2 तथा ताप प्लेटिनम के गलनांक के बराबर हो।
1 मोल:-
एक मोल किसी निकाय में पदार्थ की वह मात्रा है जिसमें उतनी ही मूल सताए होती है जितनी 0.012 kg कार्बन-12 में परमाणुओं की संख्या होती है।
1 रेडियन :-
एक रेडियन वह तलीय कोण है जो कि वृत कि त्रिज्या के बराबर चाप वृत के केंद्र पर अंतरित करता है।
समतल कोण dq = ds/r
1 स्टेरेडियन :-
एक स्टेरेडियन वह ठोस कोण है जो कि गोले के पृष्ठ का एक भाग, जिसका क्षेत्रफल गोले कि त्रिज्या के वर्ग (r2) के बराबर है, गोले के केंद्र पर अंतरित करता है।
ठोस कोण या घन कोण dΩ = dA/r2
यदि dA = r2 तो dΩ = 1 sr
#SI पद्धति की विशेषताएँ:-
SI पद्धति की निम्नलिखित विशेषताएँ है-
1. SI मात्रक एक परिमेयकृत पद्धति है अर्थात इस पद्धति से एक भौतिक राशि के लिए एक ही मात्रक का उपयोग होता है।
2. यह मात्रकों की सम्बद्ध पद्धति है अर्थात इस पद्धति में व्युत्पन्न मात्रकों को केवल मूल मात्रकों द्वारा केवल गुणा एवं भाग करके प्राप्त किया जा सकता है।
3. यह पद्धति मीट्रिक या दशमलव पद्धति है।
4. इस पद्धति में मात्रक अचर तथा उपलब्ध मानकों पर आधारित हैं।
5. इस पद्धति के सभी मात्रक सुपरिभाषित हैं तथा ये पुन: स्थापित किए जा सकते हैं।
6. SI पद्धति को विज्ञान की सभी शाखाओं में प्रयोग किया जा सकता है।
कुछ अन्य प्रायोगिक मात्रक :-
*खगोलीय इकाई या खगोलीय मात्रक Astronomical Unit (1AU): -
- सूर्य और पृथ्वी के केंद्र के बीच की औसत दूरी एक खोगालीय इकाई (1AU) कहलाती है।
1AU = 1.496 × 1011m
*प्रकाश वर्ष light year (1 l.y.):-
-प्रकाश द्वारा निर्वात में एक वर्ष में तय दूरी एक प्रकाश वर्ष के बराबर होती है।
1 l.y. = 9.46 × 1015m
*पारसेक (Parsec or Parallatic Second):-
जिस दूरी पर एक खगोलीय इकाई लंबी चाप एक सेकंड का कोण बनाती है उस दूरी को एक पारसेक कहते हैं।
हम जानते हैं कि –
खगोलीय इकाई,प्रकाश वर्ष व पारसेक के बीच संबंध:
1 पारसेक = 3.084×1016 m
1 प्रकाश वर्ष = 6.3×104 AU
1 पारसेक = 3.26 प्रकाश वर्ष
छोटी दूरियों के लिए मात्रक :
1 माइक्रोन(1µm) = 10-6m
1 नैनोमीटर (1nm) = 10-9m
1 एंगस्ट्रोम (1Ao) = 10-10m
1 फर्मी (1fm) = 10-15m
1 बार्न (barn)= 10-28m2 (बहुत छोटे क्षेत्रफल की इकाई)
बड़े द्रव्यमानों के लिए मात्रक :
1 टोन या मीट्रिक टन = 1000kg (1Tonne or metric ton = 1000kg)
1 क्विंटल = 100kg
1 स्लग = 14.57kg
1 चन्द्र शेखर लिमिट (C.S.L) = सूर्य के द्रव्यमान का 1.4 गुणा
बहुत छोटे द्रव्यमानों को मापने के लिए :
1 amu = 1.66×10-27kg
समय के मात्रक :-
सौर दिवस (Solar Day):
पृथ्वी द्वारा सूर्य के सापेक्ष अपने अक्ष पर एक घूर्णन करने में लगा समय एक सौर दिवस के बराबर होता है।
नक्षत्र दिवस (Sedrial Day): पृथ्वी द्वारा किसी स्थिर तारे के सापेक्ष अपने अक्ष पर एक घूर्णन करने में लगा समय एक नक्षत्र दिवस के बराबर होता है।
सौर वर्ष (Solar Year):-
पृथ्वी द्वारा सूर्य के परित: अपनी कक्षा में एक चक्कर लगाने में लगा समय एक सौर वर्ष कहलाता है।
1 सौर वर्ष = 365.25 सौर दिवस
= 366.25 नक्षत्र दिवस
चंद्र मास (Lunar month):-
चंद्रमा द्वारा पृथ्वी के परित: अपनी कक्षा में एक चक्कर लगाने में लगा समय एक चंद्र मास कहलाता है।
1 चंद्र मास = 27.3 दिन
1 Shake = 10-8 सेकेंड
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